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National Youth day

बचपन में फल तोड़ने के लिए, या फिर बेवजह, आप भी पेड़ों पर जरूर चढ़े होंगे। एक ऐसा ही किस्सा, स्वामी विवेकानंद जी का है। एक दिन एक बुजुर्ग ने उन्हें, पेड़ पर चढ़ने से रोका, यह बोलकर कि उस पेड़ पर भूत रहता है। और अगर उस पेड़ पर कोई चढ़ा, तो वो उसकी गर्दन तोड़ कर मार देगा। विवेकानंद जी ने कहा' ठीक है। उनके सभी दोस्त डर गए, लेकिन जैसे ही वो बुजुर्ग वहां से गया, विवेकानंद दोबारा पेड़ पर चढ़ गए। तब उनके दोस्तों ने, पूछा कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं, यह जानते हुए भी कि भूत, उन्हें मारेगा। विवेकानंद ने हंसकर कहा- 'कितने मूर्ख हो तुम! किसी के कहने मात्र से हर बात पर विश्वास न करें! अगर बुजुर्ग दादा की कहानी सच होती, तो अब तक मेरी गर्दन टूट चुकी होती। आज स्वामी विवेकानंद जी की जयंती है और उनकी यह बातें, हमें सीख देती हैं कि सच और सही की परख करना सीखें, खासकर इस सोशल मीडिया के जमाने में। आज एक्टर अरूण गोविल का जन्मदिन, भी है, जिनके धार्मिक किरदार, की लोग आज भी इज्जत करते हैं। A-युवा हमारे देश का भविष्य हैं और हर राष्ट्र को उनका सम्मान करना चाहिए। भारत, हर साल 12 जनवरी को, स्वामी विवेकानंद जी को श्रद्धांजलि देने के लिए, नेशनल यूथ डे यानी राष्ट्रीय युवा दिवस मनाता है। भारत के अध्यात्मिक गुरु और युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में साल 1863 में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था और वो अपने परिवार के नौ भाई-बहनों में से एक थे। उनकी शिक्षा हालांकि पश्चिमी तरीके से हुई, मगर भारतीय धर्म, संस्कृति और दर्शन से उन्हें प्यार था

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समाज में फैली कुरीतियों जैसे बाल विवाह, अशिक्षा, सतीप्रथा आदि को दूर करने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए। इसी दौरान वे स्वामी रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आए। उन्होंने धर्म और दर्शन को समझने और समझाने के लिए पूरे देश में यात्रा की। साल 1893 में, अमेरिका के शहर शिकागों में विश्व धर्म संसद के आयोजन में गए। स्वामी विवेकानंद जी ने ''अमेरिका के मेरे प्यारे भाइयो और बहनों'', बोल कर, कॉन्फ्रेंस हॉल में मौजूद लोगों का दिल जीत लिया। क्योंकि गुलामी में ब्रिटिशों के अत्याचारों से पूरा भारत परेशान था, लेकिन उनके लिए प्यार जताकर, विवेकानंद जी ने पूरी दुनिया को दिखा दिया था कि भारत का दिल कितना बड़ा है। विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी भारतीय धर्म और संस्कृति के प्रचार प्रसार में लगा है। B-कई इंडियन बॉलीवुड सितारों ने, दुनिया भर में नाम कमाया हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के मेरठ में 12 जनवरी 1958 में जन्मे अरुण गोविल, आज भी जहां से गुजर जाएं, लोग उनके चरण छूने को बेताब रहते हैं। उन्होंने रामानंद सागर के टी वी सीरियल रामायण में भगवान श्रीराम की भूमिका निभाई थी, जिसने उन्हें सामान्य कलाकार की श्रेणी से ऊपर, एक ऐसे स्थान पर बिठा दिया, जहां लोग उनमे साक्षात भगवान का प्रतिबिंब देखते हैं। एक्टर और प्रोड्यूसर अरुण गोविल, राजनीति में भी हाथ आजमा चुके हैं। राम के अलावा उन्होंने कई माइथालॉजी कैरेक्टर का रोल निभाया है। राजा हरिशचंद्र, महात्मा बुध और विक्रम और बेताल सीरियल में विक्रम के अमेजिंग किरदार में लोगों ने उन्हें बहुत पसंद किया है।

लेकिन शायद आपको उनकी पर्सनल लाइफ की ज्यादा जानकारी नहीं होगी। अरुण गोविल, 17 साल की उम्र में, अपने भाई के साथ एक बिजनेस में काम करने के लिए मुंबई आ गए थे। हालांकि, कॉलेज टाइम से ही उनका इंटरस्ट एक्टिंग में था। साल 1977 में अरुण ने ''पहेली फिल्म'' से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। बाद में, उन्होंने विक्रम बेताल के साथ टीवी सीरियल में शुरुआत की। जो बाद में, राम के किरदार के साथ रामायण के फेम बन गए। अरुण गोविल की रियल लाइफ 'सीता', यानी उनकी धर्मपत्नि बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस हैं श्रीलेखा गोविल हैं। हालांकि, बॉलीवुड में एंट्री से पहले, श्रीलेखा, एक textile डिजाइनर थी। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि “सारी शक्ति तुम्हारे भीतर है; आप कुछ भी और सब कुछ कर सकते हैं। यहां तक कि किसी की गाइडेंस के बिना भी। खुद पर विश्वास करो, ऐसा मत सोचो कि तुम कमजोर हो; अपने भीतर की दिव्यता को व्यक्त करो।'' स्वामी विवेकानंद जी की क्रांतिकारी सोच, ने उस वक्त के भारत को एक नई दिशा दी थी। आज द रेवोल्यूशन - देशभक्त हिंदुस्तानी, की ओर से मैं, सिर्फ यही कहना चाहूँगी कि, अगर आज हम, इस राष्ट्र नायक को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं, तो नए भारत के रेवोल्यूशन में हर आम नागरिक को आगे आना होगा।